10 हजार रूपये अर्थदंड, न देने पर एक माह की अतिरिक्त कैद भुगतनी होगीजेल में बिताई अवधि सजा में समाहित की जाएगीअर्थदंड की धनराशि में से 8 हजार रूपये पीड़िता को मिलेगी साढ़े 7 वर्ष पूर्व नाबालिग लड़की के साथ हुए छेड़खानी का मामलासोनभद्र। साढ़े 7 वर्ष पूर्व नाबालिग लड़की के साथ हुए छेड़खानी के मामले में अपर सत्र न्यायाधीश / विशेष न्यायाधीश पाक्सो एक्ट सोनभद्र अमित वीर सिंह की अदालत ने बृहस्पतिवार को सुनवाई करते हुए दोषसिद्ध पाकर दोषी शीतल प्रसाद को 3 वर्ष की कठोर कैद एवं 10 हजार रूपये अर्थदंड की सजा सुनाई। अर्थदंड न देने पर एक माह की अतिरिक्त कैद भुगतनी होगी। जेल में बिताई अवधि सजा में समाहित की जाएगी। वहीं अर्थदंड की धनराशि में से 8 हजार रूपये पीड़िता को मिलेगी।
अभियोजन पक्ष के मुताबिक शक्तिनगर थाना क्षेत्र के एक गांव निवासी पीड़िता की मां ने 25 अक्तूबर 2016 को कोर्ट में दिए धारा 156(3) सीआरपीसी के प्रार्थना पत्र में अवगत कराया था कि उसकी 14 वर्षीय नाबालिग बेटी 17 सितंबर 2016 को शाम 7 बजे पड़ोसन महिला के साथ ज्वालामुखी मंदिर दर्शन करने जा रही थी तभी रास्ते में सुनसान जगह पर शीतल प्रसाद पुत्र दीनबंधु उर्फ बंधुराम निवासी प्राइवेट बस स्टैंड शक्तिनगर ने उसकी नाबालिग बेटी के साथ छेड़छाड़ करने लगा तथा उसका हाथ पकड़ कर खींचने लगा। शोरगुल की आवाज सुनकर कई लोग आ गए तब बेटी की इज्जत बची और वह छोड़कर भाग गया। दूसरे दिन सुबह बेटी को लेकर थाने पर गई और तहरीर दी जिसपर पुलिस ने आरोपी शीतल प्रसाद को दो दिन तक थाने पर बैठाने के बाद छोड़ दिया। तब एसपी सोनभद्र को रजिस्टर्ड डाक से सूचना दिया, फिर भी कोई कार्रवाई नहीं की गई। कोर्ट के आदेश पर पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर मामले की विवेचना किया। विवेचना के दौरान पर्याप्त सबूत मिलने पर विवेचक ने कोर्ट में छेड़खानी और पाक्सो एक्ट में चार्जशीट दाखिल किया था।
मामले की सुनवाई के दौरान अदालत ने दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं के तर्कों को सुनने, गवाहों के बयान एवं पत्रावली का अवलोकन करने पर दोषसिद्ध पाकर दोषी शीतल प्रसाद को 3 वर्ष की कठोर कैद एवं 10 हजार रूपये अर्थदंड की सजा सुनाई। अर्थदंड न देने पर एक माह की अतिरिक्त कैद भुगतनी होगी। जेल में बिताई अवधि सजा में समाहित की जाएगी। वहीं अर्थदंड की धनराशि में से 8 हजार रूपये पीड़िता को मिलेगी। अभियोजन पक्ष की तरफ से सरकारी वकील दिनेश कुमार अग्रहरी, सत्य प्रकाश त्रिपाठी एवं नीरज कुमार सिंह ने बहस की।