सोन संगीत महोत्सव फाउंडेशन की ओर से हुई कवि गोष्ठी
सोनभद्र। सोन संगीत महोत्सव फाउंडेशन के तत्वावधान में नगर स्थित विवेकानंद प्रेक्षागृह में सारस्वत महायज्ञ व संगीत महोत्सव का आयोजन किया गया। दिवाकर द्विवेदी मेघ ने अध्यक्षता तथा सफल संचालन ओज कवि शहीद स्थल प्रवंधन ट्रस्ट करारी के निदेशक प्रदुम्न त्रिपाठी एडवोकेट तथा संयोजक सुशील मिश्रा ने मां शारदे के चित्र पर माल्यार्पण दीपदान किया और विधिवत आयोजन का आगाज हुआ। वाणी वंदना करते हुए गीतकार दिलीप सिंह दीपक ने मां शारदे ज्ञान दे स्वर का अनुपम भान दे जन जन का तूं कल्याण कर तुलसी शिवा रसखान दे सुनाया और शमां बांध दिए। श्रृंगार व वीर रस की कवयित्री कौशल्या कुमारी चौहान ने अगर किसी से दगा करोगे तुझे मोहब्बत नहीं मिलेगी,, सुनाकर वसंत ऋतु से प्यार की वफ़ा की नसीहत दिया तो वहीं वीर रस की रचना नाश करूंगी दुष्टों का मैं दुर्गा भवानी हूं सुनाकर भारत माता व जयहिंद नाद से पूरे वातावरण को गुंजायमान कर दिया सराही गईं।
धर्मेश चौहान एडवोकेट ने देशभक्ति गीत बड़ा ही प्यारा बड़ा ही न्यारा सारे जग की शान हिंदुस्तान मेरा है हिंदुस्तान मेरा है सुनाकर राष्ट्र वंदना किया और वाहवाही बटोरी।शायर अशोक तिवारी एडवोकेट ने हमने तुमसे प्यार किया और क्या किया यूं जिंदगी गुजार दिया और क्या किया सुनाया और ग़ज़ल की भावात्मक अभिव्यक्ति से लोगों को जोड़ा। हास्य व्यंग के सिद्ध हस्त कवि जयराम सोनी ने पांच सौ की नोकरी दो हजार की साड़ी वाह ये आंगनबाड़ी वाह रे आंगनबाड़ी सुनाया और व्यवस्था पर करारा प्रहार किया लोगों को देर तक हंसाते रहे। ओजस्वी कवि प्रभात सिंह चंदेल ने भूख गरीबी बेकारी का आलम देखो गली गली,कहो भला कैसे कह दूं नववर्ष तुम्हारा अभिनंदन है सुनाकर जनमन की पीर को उकेरा वह सत्ता को नसीहत दिये करतल ध्वनियों से लोगों ने स्वागत किया। प्रदुम्न त्रिपाठी एडवोकेट ने,,सांवरि सूरति मोहनि मूरति ई छवि देखत पाप पराला भगवान राम को समर्पित रचना तथा संवेदना की पंक्ति,,सबकी आंखों का मर रहा पानी मेरी आंखों में भर रहा पानी मृत संवेदना तो शेष कुछ नहीं यारों बचाओ इसको उतर रहा पानी सुनाया और लोगों को सोचने पर विबस किया। गीत ग़ज़ल की सशक्त कवयित्री दिव्या राय ने मत रोक सांवरिया घूंघट में मुझे नील गगन तक जाने दे सुनाकर नारी सशक्तिकरण को बल प्रदान कर ऊंची उड़ान को गतिज ऊर्जा देकर सबको भावविह्वल कर दिया। दयानंद दयालू ने लोक भाषा में कई गीत सुनाकर गति दिया।अध्यक्षता करते हुए दिवाकर द्विवेदी मेघ ने,आदमी अब कितना रह गया है आदमी, कोई तो बोलो कि अब यह गई है क्या कमी,आदमी के पास सब कुछ आ रहा क्रमशः मगर , आदमी के पास से अब जा रहा है आदमी सुनाकर गंभीर रचना के द्वारा जागरण किये। सभी कवियों को अंगवस्त्र लेखनी डायरी देकर आयोजक सुशील मिश्रा सोन संगीत महोत्सव फाउंडेशन द्वारा अभिनंदन किया गया और आभार व्यक्त किया गया।इस अवसर पर फारुख अली हाशमी रिषभ अतुल सिंह पटेल एडवोकेट इमरान हाशमी आशुतोष पाण्डेय मुन्ना अमित मिश्रा शिखा पुष्पा सिंह समेत सैकड़ों लोग देर रात तक जमे रहे।तदुपरांत संगीत का आयोजन शुरू किया गया।